क्षणिकाएं
तेरा चहकना
महकना ,मचलना
खिलखिलाना
कुछ यूँ लुभाता है
जैसे कोई नदिया तूफानी
सागर के सीने पर
अठखेलियाँ कर रही हो
तेरे पहलू में
सिर रखकर
सुकून पाना
अब किस्मत नहीं
तुझे याद रखना
या भूल जाना
अब बस में नहीं
दीदार तेरा हो
अक्स मेरा हो
रूह तेरी हो
जिस्म मेरा हो
नींद तेरी हो
ख्वाब मेरा हो
मौत मेरी हो जिसमें
वो गोद तेरी हो
नज़्म बना मुझे
कागज़ पर उतार मुझे
ख्वाहिश बना मुझे
नज़रों में बसा मुझे
तेरी चाहत का सिला बन जाऊँ
बस एक बार पुकार मुझे
ख्वाबों के सूखे दरख्तों पर
आशियाँ बनाया नहीं जाता
हर चाहने वाली सूरत को
दिल का दरवाज़ा दिखाया नहीं जाता
तेरे ग़मों की दुनिया में
अश्क मेरे बहते हैं
दर्द के ये कुछ फूल हैं
जो काँटों पर ही सोते हैं