बावरा मन
ये मन का उड़ता पंछी
आकाश को पाना चाहता है
जिस राह की कोई मंजिल नही
उस राह को तकना चाहता है
प्रणय बंधन में बँधे मनों को
प्रेम का नव अर्थ देना चाहता है
नामुमकिन सी तमन्ना को
आइना बनाना चाहता है
प्रणय बंधन में जकड़ी बेडी को
प्रेम की हथकड़ी लगाना चाहता है
तुमसे ही हर चाहत का अब
सिला पाना चाहता है
ह्रदय की कुँवारी इच्छाओं को
तुमसे ही मनवाना चाहता है
ह्रदय में उठते ज्वारों की
ख़ामोशी को सुनाना चाहता है
प्रेम के हर अधबुने फंदे को
तुमसे ही बुनवाना चाहता है
तन के रिश्ते से कुछ ऊपर उठकर
प्रेमी के भावों में भीगना चाहता है
तमन्नाओं की बढती अमरबेल तो देखो
साजन से तुमको प्रियतम बनाना चाहता है
अपनी नाकाम सी कोशिशों को
मोहब्बत का इक मुकाम देना चाहता है
साजन में छुपे प्रेमी की
परछाईं को पकड़ना चाहता है
तुम्हारी हर अदा में साजन
प्रेमी सा तसव्वुर चाहता है
ये प्रेम की अतल गहराइयों में डूबा मन
सूखे फूलों से खुशबू को पाना चाहता है
हाय ! ये प्रेम में बावरा मन
अनहोनी को होनी में बदलना चाहता है