कभी कभी कुछ लफ्ज़ दिल को ज़ख्म दे जाते हैं
कभी कभी मरहम भी दर्द का सबब बन जाती है
कब कौन आ के कौन सा ज़ख्म उधेड़ दे ,क्या ख़बर
कभी कभी दुआएं भी बद्दुआ बन जाती हैं
तस्वीर का रुख बनाने वाले को भी न समझ आया
कभी कभी आईने भी तस्वीर को बदल देते हैं
Archive for अगस्त, 2008
जब ज़िन्दगी में भागते भागते हम थकने लगते हैं तब मन उदास होने लगता है । आत्मा बोझिल होने लगती है । कुच्छ देर कहीं ठहरने को दिल करता है मगर ज़िन्दगी तो ठहरने का नाम नही न . और हम एक ठिकाना ढूँढने लगते हैं जहाँ khud ko mehsoos kar सकें।कुच्छ der khud ko waqt ke aaine mein dekh सकें, kya खोया, क्या पाया, जान सकें।
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virhan का दर्द
virhan का दर्द sawan क्या जाने
कैसे कटते हैं दिन और कैसे कटती हैं रातें
बदल तो आकर बरस गए
चहुँ ओर हरियाली कर गए
मगर virhan का सावन तो सुखा रह गया
पीया बीना अंखियों से सावन बरस गया
सावन तो मन को उदास कर गया
बीजली बन कर दिल पर गिर गया
कैसे सावन की फुहार दिल को जलाती है
इस दर्द को तो एक virhan ही जानती है
virhan का दर्द savan क्या jane
कैसे katate हैं दिन और कैसे katati हैं ratein
badal to aakar बरस गए
chahun ore hariyali कर गए
मगर virhan का sawan to sukha रह गया
पिया बिना ankhiyon से sawan बरस गए
भीगा सावन
बरखा की फुहारों ने तन मन भीगो दीया
सावन की बहारों ने मौसम बदल दीया
ऐसे भीगे मौसम ने कुछ याद दीला दीया
वो बचपन में बारीश में भीगना
वो सखियों के संग बारीश में नाचना
फिर हर पल मस्ती में झूमना
आज भी उन्ही पलों के लिए तरसना
हर लम्हा यादों में फिर जींदा कर दिया
हर सावन में बारीश की फुहारों में
उन्ही पलों को यादों में फिर से जीना
बचपन की याद दीला गया
हमको हमारे बचपन से मीला गया
गर किसी को मीले मेरा पता
मन की घुटन अश्कों में बह नही पाती
शब्दों में बयां हो नही पाती
अजीब मुकाम पर है जिंदगी
जो न रुक् पाती हैमन की घुटन अश्कों में बह नही पाती
शब्दों में बयां हो नही पाती
अजीब मुकाम पर है जिंदगी
जो न रुक् पाती है
और
न आगे चल पाती है
यादों के बवंडर में घीर गई है जिंदगी
ख़ुद को ढूंढ रही हूँ
न जाने कहाँ खो गई हूँ
जीसमें ख़ुद को खो दीया
उसे तो पता भी न चला
मैं उसके लिए कुछ नही
मगर वो मेरे लिए सब कुछ है
मेरा din,मेरी रात
मेरी खुशी ,मेरा गम
मेरा हँसना मेरा रोना,
मेरा प्यार मेरी लडाई
मेरा दोस्त,मेरा परिवार,
मेरा आज, मेरा कल,
मेरा आदी , मेरा अंत,
उसके बीना अस्तीत्व ही नही मेरा
उसके बीना जिंदगी की कल्पना ही नही
अब ऐसे में कहाँ खोजूं अपने आप को
जहाँ खुदी को मिटा दीया मैंने
उसमें ख़ुद को समां दीया मैंने
वहां कैसे अलग करुँ ख़ुद को
मुझे मेरा ‘मैं‘ कहीं मीलता नही
अपने आप से पल पल लड़ रही हूँ मैं
अपना पता पूछ रही हूँ मैं
गर किसी को मीले तो बता देना
मुझे मुझसे मिला देना
और
न आगे चल पाती है
यादों के बवंडर में घीर गई है जिंदगी
ख़ुद को ढूंढ रही हूँ
न जाने कहाँ खो गई हूँ
जीसमें ख़ुद को खो दीया
उसे तो पता भी न चला
मैं उसके लिए कुछ नही
मगर वो मेरे लिए सब कुछ है
मेरा din,मेरी रात
मेरी खुशी ,मेरा गम
मेरा हँसना मेरा रोना,
मेरा प्यार मेरी लडाई
मेरा दोस्त,मेरा परिवार,
मेरा आज, मेरा कल,
मेरा आदी , मेरा अंत,
उसके बीना अस्तीत्व ही नही मेरा
उसके बीना जिंदगी की कल्पना ही नही
अब ऐसे में कहाँ खोजूं अपने आप को
जहाँ खुदी को मिटा दीया मैंने
उसमें ख़ुद को समां दीया मैंने
वहां कैसे अलग करुँ ख़ुद को
मुझे मेरा ‘मैं‘ कहीं मीलता नही
अपने आप से पल पल लड़ रही हूँ मैं
अपना पता पूछ रही हूँ मैं
गर किसी को मीले तो बता देना
मुझे मुझसे मिला देना